इमाम-उल-हक़ | ‘पर्ची’ के टैग से परे एक क्रिकेटर की अनकही कहानी
चलिए, एक पल के लिए कल्पना करते हैं। हम और आप किसी कैफ़े में बैठे हैं, चाय या कॉफ़ी पी रहे हैं और क्रिकेट पर बात हो रही है। मैं एक नाम लेता हूँ: इमाम-उल-हक़ । आपके दिमाग में सबसे पहला शब्द क्या आता है? ईमानदारी से बताइएगा। 90% संभावना है कि वो शब्द होगा – “पर्ची”।
और बस, यहीं से सारी कहानी शुरू होती है। एक क्रिकेटर, जिसके आंकड़े किसी भी पैमाने पर शानदार हैं, जिसकी तकनीक ठोस है, लेकिन उसकी पूरी पहचान एक शब्द, एक टैग, एक आरोप में सिमटकर रह गई है। ये कहानी सिर्फ़ रन और विकेट की नहीं है। ये कहानी है दबाव की, उम्मीदों के बोझ की, और अपने ही देश के फ़ैन्स से अपनी क़ाबिलियत का लोहा मनवाने की एक अंतहीन लड़ाई की।
तो आज, हम उस ‘पर्ची’ वाले चश्मे को उतारकर इमाम-उल-हक़ को एक क्रिकेटर के तौर पर समझने की कोशिश करेंगे। क्यों वो पाकिस्तानी क्रिकेट के सबसे ज़्यादा गलत समझे गए खिलाड़ियों में से एक हैं? चलिए, इस गुत्थी को सुलझाते हैं।
“पर्ची” का दाग | क्या ये इमाम-उल-हक़ की असली पहचान है?

साल 2017। पाकिस्तान क्रिकेट में एक नया दौर शुरू हो रहा था। टीम के चीफ़ सेलेक्टर थे दिग्गज बल्लेबाज़, इंजमाम-उल-हक़। और तभी, एक युवा बाएं हाथ के बल्लेबाज़ को टीम में जगह मिलती है, जिसका सरनेम भी ‘हक़’ था। वो लड़का था इमाम-उल-हक़, इंजमाम का भतीजा।
बस फिर क्या था। सोशल मीडिया पर एक तूफ़ान आ गया। “पर्ची”, “नेपोटिज़्म”, “सिफ़ारिशी खिलाड़ी” जैसे टैग्स हवा में तैरने लगे। किसी ने ये देखने की ज़हमत नहीं उठाई कि इस लड़के ने डोमेस्टिक क्रिकेट में कैसा प्रदर्शन किया है। किसी ने उसकी तकनीक पर बात नहीं की। उसके लिए सबसे बड़ी योग्यता और सबसे बड़ा अभिशाप, दोनों ही उसका उपनाम बन गया था।
यहाँ एक दिलचस्प बात है। इमाम ने अपने डेब्यू मैच में ही श्रीलंका के ख़िलाफ़ शतक जड़ दिया। ऐसा करने वाले वो दूसरे पाकिस्तानी बल्लेबाज़ बने। आमतौर पर, ऐसा डेब्यू किसी भी खिलाड़ी को हीरो बना देता है। लेकिन इमाम के केस में, इसे भी शक की निगाह से देखा गया। लोगों ने कहा, “एक शतक से क्या होता है?”
यह वो बोझ था जिसे इमाम-उल-हक़ ने अपने करियर के पहले दिन से ही ढोना शुरू कर दिया था। हर असफलता पर “देखा, हमने तो पहले ही कहा था” की आवाज़ें तेज़ हो जाती थीं, और हर सफलता को शक की तराज़ू में तौला जाता था।
आंकड़े जो कहानी कहते हैं | एक नज़र इमाम के शानदार ODI रिकॉर्ड पर

चलिए, एक मिनट के लिए सारी भावनाओं और आरोपों को साइड में रखते हैं और सिर्फ़ तथ्यों पर बात करते हैं। क्योंकि आंकड़े झूठ नहीं बोलते। अगर हम पाकिस्तान क्रिकेट टीम के वनडे प्रारूप को देखें, तो इमाम के आंकड़े चौंकाने वाले हैं।
- सबसे तेज़ 2000 रन: इमाम-उल-हक़ पाकिस्तान के लिए वनडे में सबसे तेज़ 2000 रन बनाने वाले बल्लेबाज़ हैं। उन्होंने यह कारनामा सिर्फ़ 46 पारियों में किया था।
- शानदार औसत: उनका वनडे औसत 50 के आसपास रहता है, जो किसी भी ओपनर के लिए विश्व स्तरीय माना जाता है।
- शतकों की झड़ी: अपने छोटे से करियर में ही वो कई शतक लगा चुके हैं। उन्होंने दुनिया की लगभग हर बड़ी टीम के ख़िलाफ़ रन बनाए हैं।
अब ख़ुद से एक सवाल पूछिए। क्या ये आंकड़े किसी ऐसे खिलाड़ी के हो सकते हैं जिसे सिर्फ़ सिफ़ारिश के दम पर टीम में जगह मिली हो? बिल्कुल नहीं। ये आंकड़े एक ऐसे खिलाड़ी की कहानी कहते हैं जो लगातार प्रदर्शन कर रहा है, जो अपनी टीम के लिए रन बना रहा है, लेकिन फिर भी उसे वो सम्मान नहीं मिल पा रहा जिसका वो हक़दार है। सच तो यह है कि इमाम-उल-हक़ के आँकड़े उन्हें आधुनिक युग के सबसे सफल पाकिस्तानी वनडे ओपनर्स में से एक बनाते हैं। इस बारे में और भीखेल जगत की खबरेंपढ़ना दिलचस्प हो सकता है।
पहले मुझे भी लगता था कि ये सिर्फ़ नेपोटिज़्म का मामला है, लेकिन जब मैंने उनके आंकड़ों और खेलने के तरीके को ग़ौर से देखा, तो तस्वीर कुछ और ही नज़र आई।
तकनीक और तेवर | इमाम-उल-हक़ का खेल क्यों ख़ास है?

आंकड़ों से परे, इमाम के खेल में कुछ ऐसी बातें हैं जो उन्हें ख़ास बनाती हैं। वो टिपिकल पाकिस्तानी बल्लेबाज़ों की तरह विस्फोटक नहीं हैं। उनमें सईद अनवर जैसी नजाकत या शाहिद अफ़रीदी जैसा तूफ़ान नहीं है। लेकिन उनके पास कुछ ऐसा है जो आधुनिक क्रिकेट में बहुत ज़रूरी है – एक ठोस तकनीक और मज़बूत तेवर।
नई गेंद का सामना: इमाम नई गेंद को बहुत अच्छी तरह से खेलते हैं। एक ओपनर का सबसे पहला काम शुरुआती ओवरों में विकेट बचाकर रखना और टीम को एक solide शुरुआत देना होता है, और इमाम यह काम बखूबी करते हैं। उनकी तकनीक सीधी है, वो शरीर के पास खेलते हैं और ऑफ़-स्टंप के बाहर की गेंदों से ज़्यादा छेड़छाड़ नहीं करते।
पारी को संवारना: वो एक एंकर की भूमिका निभाते हैं। वो एक छोर पर टिके रहते हैं, जिससे दूसरे छोर पर बाबर आज़म या फखर ज़मान जैसे बल्लेबाज़ों को खुलकर खेलने की आज़ादी मिलती है। ये एक ऐसी भूमिका है जो ग्लैमरस नहीं है, लेकिन टीम के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
हाँ, ये बात सच है कि कभी-कभी उनका स्ट्राइक रेट आलोचना का विषय बनता है। T20 के इस दौर में, दर्शक हर गेंद पर चौके-छक्के की उम्मीद करते हैं। लेकिन वनडे क्रिकेट एक मैराथन है, स्प्रिंट नहीं। और हर मैराथन में एक ऐसे धावक की ज़रूरत होती है जो गति को नियंत्रित कर सके। इमाम-उल-हक़ पाकिस्तान के लिए वही भूमिका निभाते हैं।
विवादों से परे | एक क्रिकेटर जो हमेशा सवालों के घेरे में रहा
सिर्फ ‘पर्ची’ का टैग ही नहीं, इमाम का करियर दूसरे विवादों से भी घिरा रहा है। कुछ साल पहले ऑनलाइन चैट्स को लेकर भी उनका नाम उछला था, जिसके लिए उन्हें सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगनी पड़ी थी।
लेकिन यहाँ समझने वाली बात ये है कि जब आप पर पहले से ही एक दाग लगा हो, तो आपकी हर छोटी-बड़ी ग़लती को माइक्रोस्कोप से देखा जाता है। उनकी ऑन-फील्ड अपील करने का तरीका हो या प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिया गया कोई बयान, हर चीज़ को उनके ‘रवैये’ से जोड़कर देखा गया।
यह एक मानसिक लड़ाई है जो इमाम मैदान के अंदर और बाहर, दोनों जगह लड़ रहे हैं। एक तरफ उन्हें दुनिया के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ों का सामना करना होता है, और दूसरी तरफ अपने ही लोगों के तानों और उम्मीदों के बोझ से निपटना होता है। किसी भी युवा खिलाड़ी के लिए यह एक बेहद मुश्किल स्थिति है। आप दुनिया की ताज़ाख़बरेंदेखें तो पाएंगे कि पब्लिक ओपिनियन का दबाव कितना ज़्यादा होता है।
शायद यही वजह है कि मैदान पर वो कभी-कभी ज़रूरत से ज़्यादा आक्रामक या भावुक दिखते हैं। यह उनकी अंदर की भड़ास हो सकती है, एक चीख हो सकती है जो कहती है – “मुझे मेरे खेल से जानो, मेरे उपनाम से नहीं।”
तो अगली बार जब आप इमाम-उल-हक़ को बल्लेबाज़ी करते देखें, तो उन्हें सिर्फ़ ‘इंजमाम के भतीजे’ के तौर पर न देखें। उन्हें एक ऐसे लड़ाके के तौर पर देखें जिसने हर आलोचना का जवाब अपने बल्ले से दिया है। जिसके आंकड़े उसकी क़ाबिलियत की गवाही देते हैं। और जिसकी कहानी अभी ख़त्म नहीं हुई है। क्रिकेट की दुनिया में कई खिलाड़ी आए और गए, लेकिन इमाम की कहानी हमेशा याद दिलाई जाएगी कि कैसे एक टैग आपकी पूरी पहचान को ढक सकता है।
इमाम-उल-हक़ के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
इमाम-उल-हक़ पर ‘पर्ची’ का आरोप क्यों लगता है?
यह आरोप इसलिए लगता है क्योंकि उन्होंने अपना अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू तब किया जब उनके चाचा, महान क्रिकेटर इंजमाम-उल-हक़, पाकिस्तान क्रिकेट टीम के मुख्य चयनकर्ता थे। कई लोगों का मानना था कि उन्हें टीम में जगह रिश्तेदारी की वजह से मिली, न कि प्रतिभा के कारण।
क्या इमाम-उल-हक़ और इंजमाम-उल-हक़ वाकई में रिश्तेदार हैं?
हाँ, इमाम-उल-हक़ पाकिस्तान के पूर्व कप्तान इंजमाम-उल-हक़ के भतीजे हैं।
वनडे क्रिकेट में इमाम-उल-हक़ का रिकॉर्ड कैसा है?
वनडे क्रिकेट में उनका रिकॉर्ड असाधारण है। उनका औसत 50 के करीब है और वह पाकिस्तान के लिए सबसे तेज़ 2000 वनडे रन बनाने वाले बल्लेबाज़ हैं। उनके नाम कई शतक भी दर्ज हैं। आप उनके विस्तृत आंकड़ेESPNcricinfoजैसी वेबसाइटों पर देख सकते हैं।
आलोचक अक्सर इमाम-उल-हक़ के खेल के किस पहलू पर सवाल उठाते हैं?
आलोचक अक्सर उनके स्ट्राइक रेट पर सवाल उठाते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि वह आधुनिक सीमित ओवरों के क्रिकेट के हिसाब से थोड़ा धीमा खेलते हैं, खासकर पारी की शुरुआत में।
क्या इमाम-उल-हक़ ने टेस्ट क्रिकेट में भी अच्छा प्रदर्शन किया है?
हाँ, टेस्ट क्रिकेट में भी उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण पारियां खेली हैं और शतक भी लगाए हैं। हालांकि, उनकी सबसे ज़्यादा निरंतरता और सफलता वनडे प्रारूप में देखी गई है।
इमाम की सबसे बड़ी ताकत क्या मानी जाती है?
उनकी सबसे बड़ी ताकत उनकी solide तकनीक, नई गेंद को खेलने की क्षमता और पारी को संवारने की कला है। वह टीम को एक स्थिर शुरुआत देने में माहिर हैं।