IISER | सिर्फ एक और कॉलेज या भारत में विज्ञान की नई क्रांति? समझिए पूरी कहानी
चलिए, एक कप कॉफी पर बात करते हैं। आप 12वीं क्लास में हैं या अभी-अभी पास हुए हैं। दिमाग में एक तूफान चल रहा है। एक तरफ दोस्तों और रिश्तेदारों की उम्मीदों का बोझ है जो आपको IIT की चमकदार दुनिया में देखना चाहते हैं। दूसरी तरफ, NEET पास करके डॉक्टर बनने का एक सुरक्षित और सम्मानित रास्ता है। सब कुछ सेट लगता है, है ना?
और फिर, इसी शोर के बीच, कोई फुसफुसाकर एक नाम लेता है – IISER (आईआईएसईआर) ।
ये सुनते ही आपका दिमाग चकरा जाता है। IISER? ये अब क्या नई चीज़ है? क्या यह IIT जैसा है? या किसी सामान्य यूनिवर्सिटी जैसा? और सबसे बड़ा सवाल – क्या मुझे इसके बारे में सोचना भी चाहिए?
ईमानदारी से कहूं तो, यह ‘नई चीज़’ नहीं है, बल्कि भारत में विज्ञान की पढ़ाई का भविष्य है। और आज हम इसी पहेली को सुलझाने वाले हैं। यह सिर्फ एक और कॉलेज की जानकारी नहीं है। यह एक विश्लेषण है, यह समझने की कोशिश है कि IISER आखिर क्यों इतना खास है और यह आपके करियर को कैसे एक नई दिशा दे सकता है।
IIT और NEET की भीड़ से अलग | IISER आखिर है क्या?

सबसे पहले, इस गलतफहमी को दूर करते हैं। IISER कोई IIT की कॉपी या कोई सामान्य साइंस कॉलेज नहीं है। इसका पूरा नाम है – इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (Indian Institutes of Science Education and Research)। इन्हें भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने खास मकसद से स्थापित किया है।
मकसद क्या था? मकसद था देश में प्योर साइंस (Pure Science) के लिए एक ऐसा माहौल तैयार करना, जहां रट्टा मारने की जगह ‘क्यों’ और ‘कैसे’ पूछने को बढ़ावा मिले।
सोचिए, IIT का मुख्य फोकस इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी पर है। वे बेहतरीन इंजीनियर बनाते हैं। मेडिकल कॉलेज बेहतरीन डॉक्टर तैयार करते हैं। लेकिन वो कौन बनाएगा जो कल का नोबेल पुरस्कार विजेता हो? वो कौन होगा जो क्लाइमेट चेंज या अगली महामारी का समाधान खोजेगा? यहीं पर IISER की भूमिका आती है।
आईआईएसईआर कॉलेज को वैज्ञानिकों की एक नई पीढ़ी तैयार करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। ये ऐसे संस्थान हैं जहाँ अंडरग्रेजुएट पढ़ाई को सीधे वर्ल्ड-क्लास रिसर्च से जोड़ा जाता है। यहाँ आप सिर्फ थ्योरी नहीं पढ़ते, आप विज्ञान को ‘करते’ हैं। और यकीन मानिए, इन दोनों में ज़मीन-आसमान का फर्क है।
पढ़ाई का तरीका जो सब कुछ बदल देता है | क्यों खास है IISER का BS-MS प्रोग्राम?

जो चीज़ IISER को सबसे अलग बनाती है, वो है इसका फ्लैगशिप प्रोग्राम – 5 साल का डुअल डिग्री BS-MS प्रोग्राम । अब आप कहेंगे, “इसमें क्या खास है? BSc और MSc तो कहीं से भी हो जाती है।”
यहीं पर सारा खेल है।
एक सामान्य कॉलेज में, आप पहले दिन से ही फिजिक्स, केमिस्ट्री या मैथ्स ऑनर्स चुन लेते हैं। आप एक संकरे रास्ते पर चलने लगते हैं। लेकिन IISER का नज़रिया बिल्कुल अलग है। यहाँ पहले दो साल (कभी-कभी डेढ़ साल) एक कॉमन करिकुलम होता है। इसका मतलब है कि आप फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स, बायोलॉजी, और यहाँ तक कि ह्यूमैनिटीज और कंप्यूटर साइंस जैसे विषय भी एक साथ पढ़ते हैं।
मुझे जो बात सबसे दिलचस्प लगती है, वो यह है कि यह आपको एक ‘लेबल’ से बचाता है। आप सिर्फ ‘फिजिक्स वाले’ या ‘बायोलॉजी वाली’ नहीं रह जाते। आप एक वैज्ञानिक बनते हैं, जिसकी समझ हर क्षेत्र में होती है।
- इंटरडिसिप्लिनरी अप्रोच: आज की बड़ी वैज्ञानिक खोजें किसी एक विषय में नहीं होतीं। कैंसर के इलाज के लिए बायोलॉजी, केमिस्ट्री और डेटा साइंस, तीनों की जरूरत है। IISER आपको इसी भविष्य के लिए तैयार करता है।
- रिसर्च पर ज़ोर: यहाँ पहले साल से ही लैब में काम करना और रिसर्च प्रोजेक्ट्स का हिस्सा बनना आम बात है। आप उन प्रोफेसरों के साथ काम करते हैं जो खुद अपने क्षेत्र के माने हुए वैज्ञानिक हैं। यह वैसा ही है जैसे क्रिकेट सीखने के लिए आपको सीधे विराट कोहली से कोचिंग मिलने लगे।
- कम भीड़, ज्यादा ध्यान: IITs के मुकाबले IISERs में बैच साइज काफी छोटा होता है। इसका सीधा मतलब है – आपको प्रोफेसरों से व्यक्तिगत रूप से सीखने और जुड़ने का मौका मिलता है।
यह BS-MS डिग्री आपको सिर्फ ज्ञान नहीं देती, यह आपको सोचना सिखाती है। यह आपको डेटा का विश्लेषण करना, परिकल्पना बनाना और समस्याओं को एक नए नजरिए से देखना सिखाती है। और यह स्किल किसी भी डिग्री से कहीं ज्यादा कीमती है। अधिक जानकारी के लिए, आप नवीनतम व्यावसायिक रुझानों को भी देख सकते हैं।
सिर्फ वैज्ञानिक नहीं, वैज्ञानिक सोच वाले इंसान बनाना

मैंने कई IISER के छात्रों से बात की है। उनमें एक बात कॉमन है – वे चीजों को रटते नहीं, वे सवाल पूछते हैं। IISER का इकोसिस्टम ही ऐसा बनाया गया है जो आपकी जिज्ञासा को बढ़ावा दे।
यहाँ का माहौल अकादमिक रूप से बहुत कठोर है, इसमें कोई शक नहीं। लेकिन यह एक रचनात्मक कठोरता है। यह आपको फॉर्मूले याद करने के लिए नहीं, बल्कि यह समझने के लिए मजबूर करती है कि वो फॉर्मूला बना कैसे। यहाँ ग्रेड्स से ज्यादा महत्व आपकी ओरिजिनल सोच और आपके प्रोजेक्ट्स को दिया जाता है।
यह हर किसी के लिए नहीं है। अगर आप एक तयशुदा सिलेबस और परीक्षा पैटर्न वाले सुरक्षित रास्ते पर चलना चाहते हैं, तो शायद IISER आपको परेशान कर सकता है। लेकिन अगर आपके अंदर चीजों की तह तक जाने की भूख है, अगर आप घंटों लैब में बिताने या किसी मुश्किल प्रॉब्लम को सुलझाने में रोमांच महसूस करते हैं, तो IISER आपके लिए स्वर्ग जैसा हो सकता है।
बात सिर्फ भारत में विज्ञान शिक्षा को बेहतर बनाने की नहीं है। बात एक ऐसी पीढ़ी तैयार करने की है जो किसी भी क्षेत्र में जाए, तो अपनी वैज्ञानिक सोच और प्रॉब्लम-सॉल्विंग स्किल से बदलाव लाए।
एडमिशन कैसे लें? IAT, KVPY और JEE – समझिए पूरा गणित

ठीक है, अब आप शायद उत्साहित महसूस कर रहे हैं। तो सवाल यह है कि इस अद्भुत जगह पर पहुंचें कैसे? IISER एडमिशन के मुख्य रूप से तीन रास्ते हुआ करते थे, लेकिन अब समीकरण थोड़ा बदल गया है।
1. IISER एप्टीट्यूड टेस्ट (IAT): यह अब एडमिशन का सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण चैनल है। लगभग सभी सीटें इसी परीक्षा के माध्यम से भरी जाती हैं। IAT आपकी रटने की क्षमता को नहीं, बल्कि आपकी वैज्ञानिक समझ, तार्किक क्षमता और प्रॉब्लम-सॉल्विंग स्किल्स को परखता है। इसका सिलेबस NCERT पर आधारित होता है, लेकिन सवाल सीधे नहीं होते। वे आपकी सोच को चुनौती देते हैं।
2. KVPY चैनल: किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना (KVPY) फेलोशिप पाने वाले छात्रों को सीधे इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता था। हालांकि, सरकार ने अब KVPY को बंद करके INSPIRE फेलोशिप में मिला दिया है, इसलिए एडमिशन प्रक्रिया में इसके प्रभाव को लेकर आधिकारिक IISER एडमिशन वेबसाइट पर नवीनतम जानकारी देखना महत्वपूर्ण है।
3. JEE एडवांस्ड चैनल: JEE एडवांस्ड में एक निश्चित रैंक (आमतौर पर टॉप 15,000 के आसपास) लाने वाले छात्र भी अप्लाई कर सकते हैं। लेकिन, इसके माध्यम से बहुत कम सीटें उपलब्ध होती हैं।
तो, सीधी सी बात है: अगर आप IISER को लेकर गंभीर हैं, तो आपका पूरा फोकस IISER एप्टीट्यूड टेस्ट (IAT) पर होना चाहिए। यह वह दरवाजा है जो आपके लिए विज्ञान की इस नई दुनिया को खोल सकता है। नई तकनीकों के बारे में जानने के लिए आप हमारे प्रौद्योगिकी समाचार अनुभाग का अनुसरण कर सकते हैं।
अंत में, आईआईटी बनाम आईआईएसईआर की बहस का कोई एक जवाब नहीं है। यह सेब और संतरे की तुलना करने जैसा है। दोनों अपनी जगह बेहतरीन हैं। सवाल यह है कि आपकी मंजिल क्या है? अगर आप टेक्नोलॉजी और इंजीनियरिंग की दुनिया में धूम मचाना चाहते हैं, तो IIT आपका इंतजार कर रहा है।
लेकिन… अगर आप ब्रह्मांड के रहस्यों को सुलझाना चाहते हैं, अगर आप बीमारियों का इलाज खोजना चाहते हैं, अगर आप विज्ञान की सीमाओं को आगे बढ़ाना चाहते हैं, तो IISER सिर्फ एक विकल्प नहीं है। यह एक बुलावा है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
क्या IISER में कैंपस प्लेसमेंट होती है?
हाँ, IISERs में प्लेसमेंट सेल होते हैं, लेकिन यहाँ की प्लेसमेंट IITs से अलग होती है। कई छात्र आगे की पढ़ाई (PhD) के लिए भारत और विदेश की टॉप यूनिवर्सिटीज में जाते हैं। इसके अलावा, R&D कंपनियों, एनालिटिक्स फर्मों, और टीचिंग में भी अच्छे अवसर मिलते हैं। यहाँ का मकसद आपको नौकरी के लिए नहीं, बल्कि एक सफल करियर के लिए तैयार करना है, चाहे वो अकादमिक हो या इंडस्ट्री।
IISER की फीस कितनी है?
IISER की फीस IITs के बराबर ही होती है, जो सालाना लगभग 1.5 लाख से 2 लाख रुपये के बीच हो सकती है (हॉस्टल और मेस शुल्क अलग से)। हालांकि, आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों और आरक्षित श्रेणियों के लिए कई तरह की स्कॉलरशिप और फीस में छूट उपलब्ध हैं। INSPIRE जैसी स्कॉलरशिप भी छात्रों को बहुत मदद करती है।
क्या मैं 12वीं के बाद सीधे PhD कर सकता हूँ?
BS-MS प्रोग्राम अपने आप में एक इंटीग्रेटेड मास्टर डिग्री है। इसके बाद आप सीधे PhD प्रोग्राम के लिए अप्लाई कर सकते हैं। कुछ IISERs इंटीग्रेटेड PhD (Int-PhD) प्रोग्राम भी ऑफर करते हैं, जिसमें आप BSc के बाद एडमिशन ले सकते हैं और सीधे PhD की डिग्री प्राप्त करते हैं।
IAT परीक्षा कितनी कठिन होती है?
IAT की कठिनाई JEE Main और JEE Advanced के बीच मानी जा सकती है। यह JEE Advanced की तरह बहुत ज्यादा कठिन नहीं है, लेकिन JEE Main से ज्यादा कॉन्सेप्ट-आधारित है। इसमें स्पीड से ज्यादा आपकी समझ और सटीकता मायने रखती है। फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स और बायोलॉजी, चारों विषयों से सवाल आते हैं।
अगर मेरा गणित कमजोर है तो क्या मैं IISER जा सकता हूँ?
पहले दो सेमेस्टर में गणित अनिवार्य होता है। विज्ञान की किसी भी शाखा में अच्छी पकड़ के लिए गणित की बुनियादी समझ जरूरी है। अगर आपका गणित थोड़ा कमजोर है, तो आपको अतिरिक्त मेहनत करनी होगी। हालांकि, दो साल बाद आप अपनी पसंद के मेजर (जैसे बायोलॉजी या केमिस्ट्री) चुन सकते हैं जहाँ गणित का उपयोग तुलनात्मक रूप से कम हो सकता है।